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Chapter 2 - अध्याय 2: पहली मुलाकात

अध्याय 2: पहली मुलाकात

बारिश अब भी धीरे-धीरे हो रही थी।कैफ़े की खिड़कियों पर बूँदें टकराकर छोटे-छोटे मोती बना रही थीं। अंदर गर्म कॉफी की खुशबू फैली हुई थी, और कोने में बैठा वही लड़का — अब भी अपनी गिटार के तारों से किसी अधूरी धुन को पूरा करने की कोशिश कर रहा था।

माया ने झिझकते हुए दरवाज़ा खोला।"उम… माफ कीजिए, क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ?"लड़के ने ऊपर देखा, मुस्कुराया, और सिर हिला दिया — "ज़रूर, बैठिए।"

वो खिड़की के पास वाली टेबल थी — वही जगह जहाँ से समुंदर दिखाई देता था।कुछ पल चुप्पी रही, बस बारिश की आवाज़।

माया ने हिम्मत जुटाकर पूछा,"आप जो धुन बजा रहे थे… बहुत खूबसूरत है। आपने खुद बनाई?"

लड़के ने हल्की हँसी के साथ कहा,"हाँ… लेकिन अब तक इसके बोल नहीं मिले। शायद किसी कहानी का इंतज़ार है।"

माया मुस्कुराई, "कहानी तो हर किसी के पास होती है… कभी-कभी बस किसी सुनने वाले की कमी होती है।"

लड़के ने गिटार के तार हल्के से छेड़े —"शायद आज वो सुनने वाला मिल गया।"

वो दोनों एक पल के लिए चुप रहे, पर वो चुप्पी बोझिल नहीं थी।बाहर बारिश थम गई थी, पर हवा अब भी भीगी हुई थी — जैसे उनके दिलों की तरह।

"वैसे, मेरा नाम आरव है," उसने कहा।"माया," उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

फिर दोनों हँस पड़े — जैसे किसी पुराने गीत की शुरुआत हो रही हो।

बारिश के बाद की वो पहली मुलाकात शायद किसी नए मौसम की शुरुआत थी।

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